Monday, July 1, 2019

Chamki Fever: The Acute Encephalitis Syndrome

दोस्तों इस ब्लॉग के माध्यम से आप जानेंगे चमकी समस्या के बारे में

१.परिचय
चमकी एक बीमारी नहीं बल्कि एक मेडिकल कंडीशन है जिसमे हमारे शरीर में मौजीद सबसे महत्वपूर्ण ऑर्गन यानी मस्तिष्क पर वायरस का अटैक होता है,

२. वजह और स्रोत
यूँ तोह चमकी बुखार पैदा करने वाले वायरसओ की सूची बड़ी लंबी है लेकि उनमे कुछ प्रमुख है, zila, निपाह, हर्पीस सिम्पलेक्स, इन्फ्लुएंजा a, और वेस्ट nile virus।
और अगर बात करें स्रोत की इन् सभी वायरस के प्रमुख स्रोतों में शामिल हैं
Bats यानी चमगादड़,  pigs यानी सुअर और mosquito यानी मच्छर, सब nahin एडीज specie की अलबोपिक्टस प्रजाति ।
यह सब जमाने भर के वायरस के मेजर कॅरियर होते हैं , और शायद इसलिए इनकी इमेज इतनी खराब मानी जाती है। इनके वायरस कैर्री करने के पीछे बहुत बड़ी साइंटिफ़िक इन्फोर्मेशन है , जो मैं बताना चाहता हूं, लेकिन वीडियो बहुत लंबा हो जाएगा। लेकिन एक छोटा उदाहरण अभी बता देता हूँ कि , हाल ही में स्वाइन फ्लू ने अपना कहर बरपाया था, उसके पीछे पिग्स ही शामिल थे जी की h1n1 वायरस के कैरियर थे। अब इनके अंदर मौजूद वायरस इनके excretion यानी मल , मूत्र saliva , इत्यादि के जरिए बड़ी आसानी से खाद्य सामग्री खास तौर फल, सब्जियां, इत्यादि में पहुँच जाता है , और अंततः हम तक ।


३. तंत्र प्रक्रिया 
इसको ऐसे समझें कि जैसे ही हमें मच्छर या कोई mosquito जब हमें काटता है , तुरंत हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम सक्रिय होकर उतने एरिए में सूजन पैदा कर देता है,  जिसे inflammation कहते है, जिससे त्वचा से जुड़ी सूक्ष्म केशिकाएं के जरिये मच्छर की लार में मौजूद कीटाणु रक्त में न पहुंच सकें। ठीक इसी तरह
चमकी में वायरस रक्त से होते हुए सीधे मस्तिष्क में पहुंचता है , और वहां multiply होकर मष्तिष्क के सूक्ष्म सेल्स पर प्रहार शुरू करता है, जिसका सिग्नल मिलते है , हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम सक्रिय होते हुए मष्तिष्क में सूजन पैदा कर देता है , और फिर इन्फेक्शन और ये सूजन की वजह से ब्रेन को महत्वपूर्ण सिग्नल्स भेजने में काफी तकलीफ होने लगती है जिससे दूसरे organs सीधे सीधे प्रभावित होने लगते हैं।

४. लक्षण व् उनकी पहचान
Aes यानी चमकी के साथ सबसे बड़ी प्रॉब्लम यही है कि उसके लक्षण दूसरी कई साधारण मेडिकल स्थितियों से मेल खाते है, जिससे उसे सटीक रूप से पहचान पाना बहुत मुश्किल हो जाता है , शरुआती लक्षण जैसे
जी मचलाना, उल्टी , दस्त,  चक्कर आना, सर दर्द होने की वजह से अक्सर लोग इसे पहचान नही पाते, और घर पर ही प्राथमिक उपचार करने की कोशिश करते है,
लेकिन चूंकि चमकी में मष्तिषके पर असर होता है , इसलिए इससे जुड़े कुछ लक्षणों को पहचाना जा सकता है जैसे , मरीज का अजीब रूप से बात करना, दृष्टि में तकलीफ, convulcions यानी झटके आना इत्यादि, अगर यह संकेत मिलते हैं तोह सीधे इस कंडीशन से जुड़े आवश्यक जांच परीक्षण जरूर कराना चाहिए।

५. बच्चों में ज्यादा खतरा क्यूँ 
इसकी सीधी सीधी वजह है, 15 साल या उससे कम उम्र की आयु के बच्चों में ऑर्गन्स के साथ साथ उनका इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरोधक क्षमता उतनी विकसित नहीं हो पाती की वो इस प्रहार का सामना कर सके। प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने के जरूरी होता है , पोषण , जिसकी कमी की वजह से ये सब समस्याएं उत्पन्न होती है। और मुजफ्फरनगर में विशेष तौर पे कुपोषित बच्चे चमकी का शिकार बने।

५. क्या चमकी लीची खाने की वजह से होता है
बिलुकल नही, यह महज एक भ्रम है, लोग लीची सालों से खाते आ रहे है, तो क्या चमकी ने साल 2019 का मुहूर्त चुना था।


६. तोह आखिर लीची क्यों बदनाम हो रही है ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि , कुछ विशेषज्ञों ने अपनी राय देदी की लीची में मौजूद 2 तत्व hypoglycin A और methylenecyclopropylglycine (MCPG) बहुत तेजी से रक्त शर्करा यानी blood glucose को कम कर देते हैं, और आप सब तोह जानते ही हैं कि ग्लूकोस हमारे शरीर में ऊर्जा के लिए कितना आवश्यक है, शरीर में ग्लूकोस की मात्रा कम होने की वजह से , चमकी बुखार के वायरस के अटैक से वह लड़ नहीं पाता , और मरीज उसकी चपेट में आ जाता है। अब लीची को चमकी से इसलिए जोड़ा क्योंकि बिहार और उसमें खास तौर में मुजफ्फरनगर लीची का बहुत बड़ा उत्पादक है, जहां सभी स्थानीय निवासी खास तौर पे बच्चे इसका सेवन सामान्य से कहीं अधिक रूप में करते हैं।

७. सही वजह क्या है
वजह ये ही है दोस्तों की , जैसा कि मैंने बताया कि चमकी की वजह एक वायरस है , तोह किसी भी वायरस को शरीर के बाहर जिंदा रहने के लिए माध्यम चाहिए होता है , जिसमे सबसे महत्वपूर्ण है नमी, पौधों के बढ़ने के लिए पानी आबश्यक होता है, इसलिये हम गमलों में पानी देते हैं, फिर उसकी निकासी भी बना ते हैं , ताकि पानी तोह निकल जाए पर मिट्टी में आवश्यक नमी बामी रहे, उसी प्रकार जब वातावरण में नमी बहुत ज्यादा बढ़ जाती है , तोह वायरस उसका मध्यम मिलने लगता है।
May माह के अंत और शुरुआती जून में जब चमकी का प्रहार हुआ तब बिहार क्षेत्र में humidity यानी नमी 50% के भी ऊपर जा पहुंची। मुजफ्फरनगर में लीची के खेतों में आने जाने वाले जानवर खास तौर वे सुअर और चमगादड़ इस वायरस के बड़े वाहक है, उनके excretion के जरिये वायरस लीची तक पहुंचता है , और वहां से अपने टारगेट यानी हम तक। 


७. मुजफ्फरपुर बिहार ही क्यूँ 
कोई खास वजह नहीं, क्योंकि
1955 में वेल्लोर तमिल नाडु
1973 में बांकुरा पश्चिम बंगाल
2000 में फिर तमिल नाडु
और फिर 2005 से लेके 2014 तक आसाम , पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेष
भी aes की चपेट में आ चुके हैं, दरअसल सवाल यह नहीं होना चहिये की बिहार ही क्यों, बल्कि सवाल ये होना चाहिए कि मई जून ही क्यों , और उत्तर दोस्तों में इस वीडियो के सवाल नंबर 6 में दे चुका हूं।

८. बचाव
बचाव के लिए, ये कुछ मूल सावधानीय जरूर बरतें
- धूप से बच्चों को दूर रखें
- पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनाएं
- बच्चों के शरीर में पानी की कमी नहीं होने दें।
- रात को मच्छरदानी लगाकर सोएं।
- बच्चों को हल्का साधारण खाना खिलाएं और जंक फूड से दूर रखें।
- सड़े-गले फल न खिलाएं।
- घर के आसपास गंदगी नहीं होने दें।
-बच्चे को खाली पेट न रहने दें, खाना खिलाकर ही सुलाएं।
गर्मियों के बाद मानसून आता है तब बहुत सी बीमारियों को लेकर आता है , इसलिए शुरुआती समय रूटीन चेक अप करवाएं।

९. अस्पताल कब जाना चाहिए
जैसे ही आपको ये कुछ लक्षण दिखें तोह रुकें नहीं, सीधे डॉक्टर अस्पताल का रुख करें ।
- लगातार तेज बुखार।
- शरीर में ऐंठन।
- कमजोरी।
- बेहोशी छाना।
- शरीर का सुन्न पड़ जाना।
-इंफै क्शन और हीट स्ट्रोक भी प्रमुख कारण।
-बुखार के बाद बेहोशी और झटके आना।
-एक दो दिन में ही बच्ची गंभीर स्थिती में पहुंच जाता है।

१०. कौन से टेस्ट किये जाते हैं ?Aes यानी चमकी के लिए कई टेस्ट मौजूद है जैसे
1 mri ct scan जिसमे मष्तिष्क में सूजन का पता लगाया जा सकता है।
2 जैसे ecg होता है वैसे ही एलेक्ट्रोइंसफलोग्राम eeg होता है जिसमे मष्तिष्क की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी में कोई असाधारण गतिविधि का होना aes की ओर संकेत देता है।
3 बाकी रक्त मूत्र से भी पैथोलॉजी में वायरस मौजूद होने के टेस्ट लगाए जाते है।

११. सही इलाज क्या है  ?
चूंकि चमकी समस्या वायरस से होती है , इसलिए एंटीबायोटिक वगरैह न देकर सीधे एंटीवायरल दवाएं शुरू की जानी चाहिये।
अगर antivirals के बारे में आप कोई जानकारी चाहते हैं तोह कमेंट में जरूर बताएं।


अधिक जानकारी के लिए देखें यह विडियो 

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