Friday, September 27, 2019

Sonication in Pharmaceuticals : Applications and special emphasis on Probe Sonicator



Sonication in pharmaceuticals (with special emphasis on probe sonicator)
by Dr. Vikas Pandey

1.       Introduction
1.1. What is sonication?
Sonication is the act of applying sound energy to agitate particles in a sample, for various purposes such as the extraction of multiple compounds from plants, microalgae and seaweeds. Ultrasonic frequencies are usually used, leading to the process also being known as ultrasonication or ultra-sonication.
1.2. What are ultrasonic waves and how they are produced ?
ultrasonic wave. Etymology: L, ultra, beyond, sonus, sound. a sound wave transmitted at a frequency greater than 20,000 hz per second, or beyond the normal hearing range of humans. The specific wavelength is equal to the velocity divided by the frequency.
In most applications, ultrasonic waves are generated by a transducer that includes a piezoelectric crystal that converts electrical energy (electric current) to mechanical energy (sound waves). ... Ultrasound may also be produced by a whistle or siren-type generator.
1.3. What are some common applications of Sonication?
1.3.1.       In biological applications, sonication may be sufficient to disrupt or deactivate a biological material. For example, sonication is often used to disrupt cell membranes and release cellular contents. This process is called sonoporation.
1.3.2.       Medical ultrasound (also known as diagnostic sonography or ultrasonography) is a diagnostic imaging technique based on the application of ultrasound. It is used to create an image of internal body structures such as tendons, muscles, joints, blood vessels, and internal organs.
2.       Application in Pharmaceuticals
In pharmacy, sonication finds its application in optimizing dosage forms, specially novel drug delivery systems, like in nanotechnology for evenly dispersing nanoparticles in liquids. Additionally, it is used to break up aggregates of micron-sized colloidal particles.

3.       What is a Sonicator?
A sonicator is a powerful piece of lab equipment with an ultrasonic electric generator that creates a signal to power a transducer. The transducer converts the electric signal using piezoelectric crystals – crystals that respond directly to electricity by creating a mechanical vibration. The sonicator preserves and amplifies the vibration until it passes to the probe. The probe moves in time with the vibration to transmit it to the solution and moves up and down quickly. The sonicator operator can control amplitude based on the properties of the solution. A small probe tip produces a more intense reaction than a large probe tip, but a large tip reaches more of the solution.

4.       What is Sonication Process?
During sonication, cycles of pressure form thousands of microscopic vacuum bubbles in the solution. The bubbles collapse into the solution in a process known as cavitation. This causes powerful waves of vibration that release an enormous energy force in the cavitation field, which disrupts molecular interactions such as interactions between molecules of water, separates clumps of particles, and facilitates mixing. For example, in dissolved gas vibrations, the gas bubbles come together and more easily leave the solution.

The energy from sound waves creates friction in the solution, which creates heat. To stop a sample from heating up and degrading, keep it on ice before, during and after sonication.

If cells and proteins are too fragile to withstand sonication, a gentler alternative is enzyme digestion or grinding with sand.

5.       What is Cavitation?
The desired effects from the ultrasonication of liquids – including homogenization, dispersing, deagglomeration, milling, emulsification, extraction, lysis, disintegration and sonochemical effects – are caused by cavitation. By introducing high power ultrasound into a liquid medium, the sound waves are transmitted in the fluid and create alternating high-pressure (compression) and low-pressure (rarefaction) cycles, with rates depending on the frequency. During the low-pressure cycle, high-intensity ultrasonic waves create small vacuum bubbles or voids in the liquid. When the bubbles attain a volume at which they can no longer absorb energy, they collapse violently during a high-pressure cycle. This phenomenon is termed cavitation.

6.       What is Probe Sonicator?
A Probe sonicator is a powerful piece of lab equipment with an ultrasonic electric generator that creates a signal to power a transducer. ... The sonicator preserves and amplifies the vibration until it passes to the probe. The probe moves in time with the vibration to transmit it to the solution and moves up and down quickly.

7.       Parts of Probe Sonicator.


Thursday, July 25, 2019

Top 5 Medicinal Plants trending for Home


                                     5 चमत्कारी घरेलु औषधीय पौधे

भारतीय सुंस्कृति में आयुर्वेद शास्त्र द्वारा लाखों औषधीय पौधों व जड़ी बूटियों ने अपने चमत्कारों का लोहा मनवाया, लेकिन इन चमतकारी पौधों को घर पर लगाने की कठनाइयों का सिलसिला भी बहुत गहरया। क्योंकि इनके पालन पोषण में काफी कठनाईयआ आती रहीं है।
तोह....... दोस्तों आज हम ऐसे पांच चमत्कारी पौधों के बारे में जानेंगे, जिह्वे आप बड़ी ही आसानी से अपने घर पर लगाकर , इनके कई गुणों का लाभ ले सकते हैं , और अपने इम्यून सिस्टम में इतनी ताक़त फूंक सकते है, जिससे आने वाली बीमारी के पसिने छूठ जाएं।
वैसे तोह इन पौधों के लाभों की जानकारी हर जगह मिलेगी, लेकिन ये वीडियो में आपके लिए इसलिए लेकर आया क्योंकि इन पौधों की प्रायोगिक व वास्तविक अनुभूति मैंने खुद की है ।
तोह आईये मिलते है इनसे

No 5 PERIWINKLE
Botanical Name: cathranthus roceus
Hindi Name : सदाबहार

यह पौधा अपनी जंगली प्रवत्ति के करण इतना सामान्य है और प्रचलित है कि शायद ही आप मे से कोई ऐसा होगा जो इससे परिचित नहीं होगा। लेकिन आप मे से ऐसे बहुत से लोग होंगे जो इसके गुणों से वाकिफ नहीं होंगे ।
गुण (Properties)
आमतौर से औषधीय गुण सम्पूर्ण पौधे में पाया जाता है लेकिन इसके जड़ों की छाल औषधीय दृष्टिकोण से सबसे महत्वपूर्ण भाग होती है। इस पौधे में विभिन्न प्रकार के महत्वपूर्ण क्षार (alkaloids) पाये जाते हैं जिनमें 
·         एजमेलीसीन (Ajmalicine)
·         सरपेन्टीन (Serpentine)
·         रेर्स्पीन (Reserpene)
·         विण्डोलीन (Vindoline)
·         विनक्रिस्टीन (Vincristine) तथा
·         विनब्लास्टिन (Vinblastin) प्रमुख हैं,
जो कि कई बीमरियां जैसे
·         मधुमेह
·         हड्डा डंक
·         उदर संबंधी समस्त समस्याएं मांसपेशियो का खिंचाव
·         मानसिक समस्याएं जैसे अनिद्रा, चिन्तारोग, पागलपन इत्यादि
इसके क्षारों में जीवाणुनाशक गुण पाये जाते हैं इसलिए पत्तियों के सत्व का उपयोग स्टेफाइलोकाकल’ (Staphylococcal) तथा स्टेªप्टोकाकल’ (Streptococcal) संक्रमण के उपचार में होता है ।
इन सबके अलावा , सदाबहार की पत्तियों में गजब की कैंसर विरोधी शक्ति होती ।

पौधरोपण  (Plantation)
सदाबहार को बड़ी ही आसानी से आप अपने घर पर किसी भी गमले या कंटेनर में लगा सकते, जंगली प्रवत्ति होने के कारण इसे ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती।

इस्तेमाल (Uses)
सदाबहार पौधे के बताए गये हिस्सो को तोड़कर , सुखाकर पीसने के बाद इसका चूर्ण बनाकर इस्तमाल किया जा सकता है।

Number 4 : Cymbopogan
Botanical Name: cymbopogon schoenanthus
Hindi Name: निम्बू घांस  


गुण (Properties)
यूँ तो lemongrass में 12 से ज्यादा औषधीय घटक होतें है , लेकिन उनमें सबसे महत्वपूर्ण citral होता है , citral अपने खास गुणों जैसे एंटीऑक्सीडेंट, जीवाणुरोधी प्रवृत्ति के लिए जाना जाता है। इसमें अनाल्जेसिक गुण भी होते हैं, इसलिए यह विभिन्न प्रकार के दर्द में भी लाभकारी है। लेमन ग्रास शरीर के जोड़ों, सिर और मांसपेशियों के दर्द से निजात दिलाती है और स्ट्रेस से भी बचाती है। । यह शरीर से विषाक्त पदार्थो को नष्ट करता है और शरीर को स्वच्छ करने में मदद करता है। सामान्य खांसी, जुकाम और थकावट के लिए यह एक असरकारक औषधि है। साथ ही यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है व तनाव से निपटने में सक्षम बनाती है।

पौधारोपण (Plantation)
लेमनग्रास, का पौधा किसी भी नर्सरी से लेकर आप आसानी से अपने घर पर लगा सकते हैं।

इस्तेमाल (uses)
लेमनग्रास की पत्तियों को तोड़कर , इसको रोजाना चाय में मिलाकर इस्तेमाल करना बेहद लाभकारी होता है ।

 
Number 3 : Malabar Nut
Botanical Name: Justicia adhatoda
Hindi Name: अडूसा



यह भारत के अधिकांश भागों में एक जंगली झाड़ी के रूप में पाया जाता है और इसे बाड़ बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है I

गुण (Properties)
अडूसा में मुख्य घटक pyrralazoquinoline alkaloid होता है , वैसे तोह अडूसा के पौधे के सभी भाग गुणकारी होते है, मगर सबसे महत्वपूर्ण उसकी पत्तियां होती है।
1 ब्रोन्कियल ट्यूबों के लिए अडूसा के एंटीसेप्टिक प्रभाव होते हैं। यह ब्रोन्कियल ट्यूबों की सूजन को कम कर देता है और इसके कफोत्सारक प्रभावों के कारण जमे हुए बलगम को कम कर देता है। यह ब्रोन्कियल ट्यूब्स को साफ करता है और खांसीथकान, श्वास और ब्रोंकाइटिस से जुड़ी सीने की सारी परेशानियों को कम कर देता है।
2 अडूसा की सूखी पत्तियों के 1 गम पाउडर को रोजाना ग्रहण करने से पेट के अलसर और एसिडिटी जैसे रोजाना परेशान करने वाली समस्याओं से निजात मिलती है , क्योंकि इसमें एंटीसेप्टिक गुण भी मौजूद हैं।
3 इसके फूलों की पंखुड़ी को घी में भूनकर, ठंडा होने पर 10 से 15 मिनट आंखों पर रखने , आंखों की बीमारियों से निजात मिलती है ।

पौधरोपण (Plantation)
अडूसा को आप आसानी से अपने घर पर गमलों में लगा सकत्व है , और जंगली प्रवत्ति होने के कारण इसे ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं।


Number 2 : Lemon Balm
Botanical Name: Melissa officinalis
Hindi Name: लेमन बाम

लेमन बाम मिन्ट फैमिली का एक हर्ब है जो कि पुदीने की तरह ही दिखता है। लेमन बाम का वैज्ञानिक नाम मेलीसा ऑफिसिनालिस है। यह हर्ब बहुत ही आसानी से उपलब्ध होता है और बहुत ही किफायती भी है।

गुण (Properties)
लेमन बाम में पाई जाने वाली सिडेटिव और रिलैक्सिंग इफेक्ट्स होने के कारण लेमन बाम एक हीलिंग हर्ब के तौर पर जाना जाता है। लेमन बाम में टैनिन, फ्लेवोनोइड, रोस्मारिनिक एसिड, सिट्रोनेलल, यूजोनोल और अन्य कई जबरदस्त औषधीय घटक होते हैं।
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं: लेमन बाम पेट को आराम पहुंचाने में कारगर है और यह पेट से जुड़ी सभी समस्याओं को कम करने में मदद करता है। लेमन बाम में सूदिंग प्रोपर्टीज होती है जो कि आपको गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं जैसे कब्ज, अपाचन, एसिड रिफलक्स, पेट में ऐंठन और गैस आदि से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकता है। हर रोज लेमन बाम की चाय का सेवन करने से आपका पाचन तंत्र ठीक रहता है।

प्रतिरक्षा प्रणाली: लेमन बाम में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-सेप्टिक प्रोपर्टीज होती है जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कई तरह के वायरस से लड़ने में मदद करती हैं। अगर आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है तो आपका शरीर वायरस जैसे जुकाम, फ्लू और संक्रमण की चपेट में आ सकता है। लेमन बाम आपके शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को भी बढ़ाता है
मसल्स के दर्द को कम करता है: लेमन में इयूजिनोल नामक एक तत्व पाया जाता है जो कि दर्द को कम करने में मदद करता है। साथ ही लेमन बाम में पाई जाने वाली एंटी-स्पाज्मोडिक प्रोपर्टीज मसल्स की ऐंठन और दर्द को दूर करने मे कारगर होती हैं।

नींद की समस्या और चिंता को करता है: बढ़ते तनाव के कारण लोगों को नींद की समस्या होती है साथ ही बदलती जीवनशैली के कारण लोग चिंता से ग्रस्त हो रहे हैं। लेमन बाम इस समस्या को कम करने में मदद करता है। लेमन बाम के सिडेटिव इफेक्ट के कारण यह आपको चिंता और तनाव से राहत दिलाता है और अच्छी नींद दिलाने में मदद करता

पौध (Plantation)
लेमन बाम को आप आसानी घर के गमलों में लगा सकते हैं, बस ध्यान रहे कि इस पौधे को घर के उस स्थान और रखें जहां पर्याप्त मात्रा में धूप आ सके।

 
Number 1 : Aloe vera
Botanical Name: barbadensis miller.
Hindi Name: घृतकुमारी





इस्तेमाल (uses)
 
1 वजन कम करने में लाभकारी
एलोवेरा के जूस का नियमित सेवन , वजन कम करने में रामबाण का काम करता है। एलोवेरा में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो वज़न को कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं। दोस्तों अलोएवेरा का जूस बनाने की विधि बहुत ही सरल है, अगर आप इसकी जानकारी चाहते है तोह इंटरनेट पर इसकी जानकारी आपको आसानी से मिल जाएगी।
शोध के मुताबिक़ एलोवेरा का सेवन आहार प्रेरित मोटापे को भी कम करता है (2)। यह ऊर्जा खपत को बढ़ाता है और शरीर में फैट को जमने से कुछ हद तक कम करता है। यह मधुमेह और मोटापे से परेशान लोगों के लिए भी लाभदायक है।
2 प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी
बदलते मौसम के साथ-साथ कई बार लोग जल्दी बीमार हो जाते हैं। ऐसे में एलोवेरा का सेवन आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है। यह कोशिकाओं को नाइट्रिक ऑक्साइड और साइटोकिन्स का उत्पादन करने के लिए प्रेरित करता है, जो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करते हैं (4)


 
एलोवेरा जूस, रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने का काम बहुत अच्छे से करता है। आप सोने से पहले एलोवेरा जूस पी सकते हैं। सोते समय एलोवेरा आपके शरीर में अपना काम करना शुरू कर देता है। जब आप लगातार इसका सेवन करने लगेंगे, तो आपको अपने अंदर फर्क महसूस होने लगेगा। कुछ अध्ययन के अनुसार, एलोवेरा का सेवन सेलुलर और ह्यूमोरल (शारीर में एक प्रकार का द्रव्य) इम्यून (5) को उत्तेजित कर सकता है। वहीं, नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट के अनुसार, एलोवेरा जेल रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने (6) के रूप में कार्य कर सकता हैं। यही काम एलोवेरा जूस भी कर सकता है।
3 आजकल ज़्यादा मिर्च-मसाले वाला और बाहरी खाना खाने से पाचन तंत्र खराब हो जाता है। ऐसे में अगर एलोवेरा का जूस पिया जाए, तो काफ़ी हद तक पेट संबंधी परेशानियों से आराम मिल सकता है। इस जूस में लैक्सटिव (पेट साफ करने की प्राकृतिक दवा) होता हैं, जो पाचन क्रिया में मदद करता है। यह पाचन तंत्र को साफ़ करता है और कब्ज़ व आईबीएस (आंत संबंधी बीमारी) को ठीक करता है। यहां तक कि यह पेट के अल्सर में भी आराम पहुंचाता है। हालांकि, एलोवेरा को आप अन्य तरीकों से खाएंगे, तो भी फायदेमंद होगा, लेकिन इसका जूस पेट में आसानी से अवशोषित हो सकता है।
 

4 मानसिक स्वास्थ्य में लाभकारी
आजकल हर दूसरा व्यक्ति तनाव से ग्रसित है। ऐसे में ज़रूरी है कि योग व व्यायाम के साथ-साथ खानपान पर भी ध्यान दिया जाए। एक अध्ययन के मुताबिक़, जिन व्यक्तियों के आहार में एलोवेरा शामिल था उन लोगों की स्मरण शक्ति बेहतर हुई और तनाव कम हुआ (12)। यह असर एलोवेरा में मौजूद सैकराइडस (saccharides) की वजह से हुआ।
5 मुँह के स्वास्थ्य के लिए
मुंह में बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए एलोवेरा का उपयोग किया जा सकता है। एक भारतीय अध्ययन में कहा गया है कि दंत चिकित्सा के क्षेत्र में एलोवेरा बेहद उपयोगी हो सकता है (24)। एलोवेरा का उपयोग माउथ वॉश के तौर पर भी कर सकते हैं और इसका कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं होता (25)। एलोवेरा में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो प्लाक के कारण मसूड़ों में आई सूजन को कम करने में मदद करता है (26)
एलोवेरा जेल में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुण कैविटी पैदा करने वाले बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ सकते हैं। यह मसूड़ों में सूजन की बीमारी खासकर पायरिया में मददगार साबित हो सकता है (27)
इसके साथ साथ आप अलोएवेरा का टूथपेस्ट भी घर पर बना सकते हैं उसके लिए आप नीचे दी गयी सामग्री को अच्छी तरह मिलाकर इसका रोजाना उपयोग कर सकते हैं
 


तीन चम्मच एलोवेरा जेल
पांच चम्मच बेकिंग सोडा
पांच चम्मच वेजिटेबल ग्लिसरीन
बारीक़ कटा हुआ पुदीना
नीलगिरी या फिर पुदीने का तेल
शीशे का जार
प्लास्टिक कंटेनर
दोस्तों इन सबके अलावा अलोएवेरा के अन्यगिनत फायदे है, जैसे, डायबिटीज , हाई cholestrol , हड्डीयों की मजबूती ,कब्ज,सर्दी ज़ुकाम  वगेरह वगेरह
और त्वचा की बात करें तोह घर पर बनाया हुआ अलोएवेरा का प्राक्रतिक फेस पैक  बाजार में मिलने वाले रसायन युक्त फेस पैक्स से कहीं ज्यादा कारगर है
 



इसके लिए
एक चम्मच एलोवेरा जेल
चुटकीभर हल्दी
एक चम्मच शहद
एक चम्मच दूध
मिलाकर हफ़्ते में 2 बार इस्तेमाल करने से त्वचा संबंधी समस्यों से छुटकारा मिलता है। एलोवेरा में मौजूद पौष्टिक तत्व और औषधीय गुण त्वचा में चमक लाकर उसे फिर से जवां बना देता हैं।

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